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आवाज़

  • Poem
  • Oct 7, 2017
  • 1 min read

मै आवाज़ देती हु, कदम से कदम मिलाओ तुम झूठे वादे और दिलासे से, खुद को न बेहलाओ तुम अकेले नहीं हम इस राह में, बाहें ज़रा फैलाओ तुम दृढ है निश्चय तुम्हारा, आवाज़ ज़रा उठाओ तुम मंज़िल तुम्हारी दूर नहीं, कदम अपने बढ़ाओ तुम हौसले को कर बुलंद, हार से न घबराओ तुम झुकना नहीं, रुकना नहीं, सोच को अटल बनाओ तुम कल हमारा होगा, विश्वास को न डगमगाओ तुम पथ पर कांटे है पड़े, अपना लहू बहाओ तुम मै आवाज़ देती हु, कदम से कदम मिलाओ तुम

 
 
 

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