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स्वर्णिम प्रकाश

  • mypoemsandstories
  • Oct 12, 2024
  • 1 min read

Updated: Mar 10

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शब्दों की गठरी नहीं, विचारों की धार है शिक्षा,

अंधेरे से उजाले तक का विस्तार है शिक्षा।

मिट्टी को सोना बना दे जो तपन की भट्टी में,

संघर्ष के संगीत की मधुर झंकार है शिक्षा।

 

यह केवल पृष्ठों में बंद कुछ अक्षर नहीं,

यह तो अनंत यात्रा का आधार है।

सत्य की खोज, बुद्धि की पराकाष्ठा,

हर प्रश्न का निर्भीक उत्तर है शिक्षा।

 

यह दीप है, जो मन में उजाला भरता है,

यह नदी है, जो ज्ञान की धारा बहाता है।

संशय को तर्क से कुचलकर,             

यह विवेक का नव आलोक जगाता है।

 

गुरु के चरणों में शास्त्रों का सार मिलता है,

जिज्ञासा की अग्नि में सत्य का विस्तार मिलता है।

हर पुस्तक, हर अनुभव, हर संवाद,                               

अधूरे को पूर्ण करने का अधिकार मिलता है।

 

संस्कारों में पगी हो जब विद्या की बयार,                     

तो शब्द अस्त्र बनते हैं, विचार बनते हैं प्रहार।

सिर्फ डिग्रियों से नहीं, दृष्टिकोण से मापा जाता है,

शिक्षा वह शक्ति है जो सदी दर सदी राज करता है।

 

तो चलो, इस ज्ञान यज्ञ में समिधा बनें,                   

विचारों की लौ से भविष्य का दीपक जलाएँ।

अज्ञान के अंधकार से मुक्ति का द्वार खोलें,

शिक्षा की राह में अपने कदम मिलाएँ।


 
 
 

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