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मिटटी की खुशबू

  • mypoemsandstories
  • Jan 6, 2018
  • 1 min read

Updated: Jun 18, 2023

A sad poem where poet missing home and simple village life

दूर कही बारिश तो ज़रूर हुयी होगी,

जो ये मिटटी की खुशबू उड़ाकर लाती है | इस शहर की हवा में वो ठंडक कहा ?

जो बारिश की बूंदो को छूकर गुज़रती है | मिटटी की सौंधी - सौंधी खुशबू मुझे

मेरे गायों की याद दिलाती है | लाल मिटटी की पगडांडिया अब कहा ?

जो घने पीपल के छाओं तक जाती है | वहां का मौसम भीगा - भीगा सा

जो खेतो खलियानो में लहराती है | मेरे शहर में वो बारिश कहा ?

बुँदे तो बस आँखों में ही चमकती है | कागज़ की कश्तियां सारि डूब गयी,

बस दूर तक तिनके ही बहकर जाती है | मिटटी की सौंधी - सौंधी ये खुशबू,

मुझे मेरे गाओं की याद दिलाती है |


 
 
 

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