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आप के वादे

  • Shruti Roy Bir
  • Sep 14, 2013
  • 1 min read

आप के वादे झूठे, इरादे झूठे गली-गली में शोर है…. फिर भी दिल्ली इतना मजबूर क्यों ? दिमाग इतना कमज़ोर है… समय न गवा आंखे खोल अब भी लगा दे जितना ज़ोर है… अस्पष्ट केर देगी तेरी मंज़िल लोग कहते है मीडिया तो साला चोरे है…

आप उलझा गए हमे बिजली, पानी, बिल में भरे महफ़िल में आप को रुलाना है … “मेरे पास माँ है ” के नारे से अब ये दिल नहीं बेहलान है … कीचड़ बन गया देश हमारा बस अब तो कमल ही खिलाना है … ज़िन्दगी के इस मंच पर हर रोज़ क्रांति का एक दिया जलना है …


 
 
 

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