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कभी सोचा न था

  • Shruti Roy Bir
  • Jun 11, 2016
  • 1 min read

पहेली बारिश की ये शीतल सी हवा, मन को यु गहराई से छू जाएगी, कभी सोचा न था।

पहेली नज़र में ही तेरी तस्वीर इस दिल में, कम्बख्त इस कदर उतर जाएगी कभी सोचा न था।

तेरे शोहरत, रुतवे के चर्चे बहुत है इस शहर में, तेरी ये सादगी इतनी भा जाएगी कभी सोचा न था।

तेरे पैग़ाम पढ़कर ये आंखे तो अक्सर नम हुए, तेरे दीदार को इतनी तरस जाएगी कभी सोचा न था।

गुनगुनाना तो हम भी लेते है तेरी याद में मगर, तेरी एक पुकार, इतना शोर मचाएगी कभी सोचा न था।

कोई आरज़ू, शिकवा-शिकायत नहीं थी ज़िन्दगी से, मगर तेरी ज़ुस्तज़ु इतनी सताएगी कभी सोचा न था।


 
 
 

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