वक़्त आया
- Poem
- Aug 14, 2016
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इश्क़ में तो हर पल मर मिटते है सभी, देश के लिए मिटने का वक़्त है आया |
इन दरिंदे भ्रष्टाचारियो के हर चाल को, बेनक़ाब करने का वक़्त है आया |
तेरी मेरी एकता में ही वो बल है, जो परिवर्तन का ऐसा सैलाब है आया |
रुतवा, सत्ता, सिंघासन तो सब छल है, आगे बढ़, त्याग कर ये मोह माया |
ज़ुल्म, गरीबी, अत्याचार और भ्रष्टाचार की, सीमाहीन है बर्बर मेघ-छाया |
बहुत हुआ अब रहने दे कुछ बाकि, आम नागरिक ने अब शोरे मचाया |
बहुत हुयी उनकी चालबाज़ी, बहुतो को अपने मोह जाल में है फसाया |
आँधी, तूफान, लेहेर जगा दे दिल में, पलट जाने दे आज देश की काया |
क्रांति लायी युवाओ ने ऐसी की, उन सभी भ्रष्टों का सिंघासन डगमगाया |
लोकतंत्र के सर पर आज, फिर विजयी भाव का ताज जगमगाया |
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